19 साल की प्रिशा श्रीवास्तव पुणे के एक कॉलेज में फ़स्ट ईयर की स्टुडेंट है। उत्कर्ष से अपने ब्रेकअप वाले दिन वो 35 साल के एक रहस्मय आदमी, सवीर राठौड़ से मिलती है, जो उससे कहता है कि हमेशा के लिए कुछ नहीं होता है और 19 साल की उम्र का प्यार सिर्फ़ एक मज़ाक है। प्रिशा को ये सुनना अच्छा नहीं लगता है क्योंकि प्रिशा ऐसे साथी के सपने देखती है जिसका प्यार हमेशा रहेगा और अपने मम्मी-पापा को देखकर उसे पूरा यकीन है कि प्यार हमेशा रहता है। प्रिशा ऐसे ही रिश्ते में बंधना चाहती है। प्रिशा सवीर से सवाल करती है, उनके बीच कुछ बहस होती है लेकिन किस्मत प्रिशा को इंटर्नशिप के लिए सवीर के पब्लिकेशन हाउस ले आती है। लेकिन एक बड़ी चुनौती है, और वो ये कि जो भी सवीर के क़रीब होता है, उसकी अचानक रहस्मय तरीके से मौत हो जाती है, वो भी सवीर के जन्मदिन पर। अपना सच्चा प्यार, ईशान्वी को खोने के बाद सवीर कोई रिलेशनशिप नहीं चाहता है और उसे यकीन है कि प्यार उसके लिए बना ही नहीं है। सवीर के बदकिस्मत हालातों से अनजान प्रिशा सवीर से प्यार करने लगती है। सवीर का मानना है कि उसके करीब आना मतलब मौत के करीब जाना। प्रिशा के लिए ये प्यार का नहीं मौत का जाल है। क्या प्रिशा दोबारा सवीर को प्यार में यकीन करना सिखा पाएगी या इस रहस्यमय आदमी की वजह से वो अपनी जान गंवा देगी?